रस विज्ञान, ज्योतिष और आयुर्वेद तंत्र ये तंत्र विज्ञान की ही शाखाए है. मेरे आध्यात्मिक और साधनात्मक काल में तंत्र और रसायन विज्ञान पर अन्वेषण करते समय गुरुदेव जी के आशिर्वाद मुझे ये अवसर प्राप्त हुआ कि मै उन दिव्य संतो और साधुओ से मिला और उन्होंने भी मुझे सभी विषयो पर विस्तृत रूप से जानकारी दी और साथ में उनका आशीर्वाद और निश्छल स्नेह भी. उसी दौरान मुझे एक दिव्य और अद्बुत आयुर्वेद तंत्रज्ञ से मिलने का अवसर भी प्राप्त हुआ. उन्होंने ना केवल मुझे ऐसे उपचार बताए जो रोगों कों समाप्त कर सकते है अपितु इन दिव्य जड़ी बूटियों से और “तंत्र के माध्यम” से मुझे उन दिव्य जड़ी बूटियों के गुप्त रहस्यों कों भी समझाया. वास्तव में जब हम अपने आपको अपनी काया कों स्वस्थ और निरोगी रखते है तो वह आतंरिक और बाह्य रूप से और भी सौंदर्यवान होती जाती है...
कृपया ध्यान दे कि अपनी सौंदर्यता और आरोग्यता कों उपेक्षित करना हिंसा अधिनियम के अनुसार अपरोक्ष रूप से हानि ही पहुचाने का कार्य करते है. सो यहाँ, मै आपके समक्ष कुछ अनिवार्य बिंदुओ कों रखने जा रहा हू जिनसे ना केवल मैं लाभान्वित हुआ हू अपितु उन्हें अपने जीवन में उतारे भी है जिन्हें प्रमाणित देखा भी है और वही आपको बताने जा रहा हू.
गंजेपन का उपचार– २५० ग्राम सरसों तेल कों कटोरीनुमा बर्तन में उबालिए, और धीरे धीरे थोड़ी थोड़ी मात्रा में मेहँदी के पत्ते उसमे डालिए. जब पत्ते पूरी तरह जल जाए और ९० ग्राम ही तेल शेष बचे तो उसे छान ले. और बोतल में भर ले. उस तेल से नित्य मसाज करे. कुछ ही महीनो में घनी मात्रा में गंजे सर पर बाल उग आयेंगे...
वनस्पतिया जो नेत्रश्लेष्मलाशोथ (कन्जक्टीवायटीस) कों प्रतिबन्ध करती है - कुछ गोरखमुंडी के फूलों कों लीजिए और बिना चबाये और बिना पानी पिए निगल ले. इस प्रकार एक फूल निगलने से १ साल तक नेत्रश्लेष्मलाशोथ नहीं होता.. उसी प्रकार २ फूल निगलने से दो साल और इसी प्रकार फूलो कि मात्रा से वर्षों का अनुपात चमत्कारिक रूप से कार्य करता है.और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य ये है की ये गोरखमुंडी के पुष्प और फल अभी होली ताका सहज प्राप्य भी हैं.
ऐसी वनस्पति जिससे एक दिन में बवासीर से निजात पाया जा सकता है – हंडे में ८ किलो इन्द्रायण के फल लें ले. और मरीज कों उस पर खड़े रहने के लिए कहदे और तब तक पाँव रखे रहे जब तक उसके मुंह में कड़वाहट नहीं आ जाती. फिर मरीज कों लेट जाने के लिए कहे. आधे घंटे में मरीज कों अत्यंत दुर्गन्धित मल होंगे और उसके बाद वह आने वाले लंबे समय के लिए इस रोग से मुक्त हो जाएगा.
महिलाओ में स्तनों कों सुदृढ़ सुगठित करने हेतु – स्त्री का सौंदर्य विभिन्न तथ्यों को संगठित कर पूर्णता प्राप्त करता है जिसमे से उसके शारीरिक उभारों का महत्वपूर्ण स्थान है और बहुधा रूप सौंदर्य होते हुए भी यदि अविकसित उभार हो तो ये प्रेम प्राप्ति और विवाह जैसे मसलों में भी नकारात्मक भूमिका निभाते हैं.बाजार में प्रचलित रासायनिक क्रीम की अपेक्षा आयुर्वेद में कुछ सरल और अत्यधिक प्रभावकारी प्रयोग बताये गए हैं उनमे से एक मैं यहाँ पर दे रहा हूँ. ये क्रिया अत्यंत ही सरल है और आयुर्वेद शास्त्रों में अनुभूत की हुई है. धतूरे के पत्तों कों गरम कर ले मध्यम आंच पर, और उसे स्तनों पर कस कर बाँध ले, इस क्रिया को कुछ दिनों तक किया जाए तो अविकसित उभार एकदम दृढ़,पुष्ट और उन्नत हो जाते है. और स्त्रियों का सौंदर्य द्विगुणित हो जाता है बिना कुछ व्यय किये.
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